Wednesday 12 October 2016

क्यों मरते हैं लोग, आत्महत्या क्यों , सही है या गलत ?

सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम..
जीने के बावजूद भी, मर जाते हैं कुछ लोग...!!



आज कुछ ऐसा ही आभास हो रहा  है के वो लोग कसे अपनी जिन्दगी को खत्म कर लेते है , ऐसा आखिर क्या हो जाता है ,उनके साथ ,., सब कुछ ठीक चल रहा है , फर क्या हुआ होगा ऐसा ,.

कहते है , अच्छे लोग  जल्दी ही भगवान् के पास चले जाते है .
ऐसा ही अनुभव मैं आप सभी के साथ बात रहा हूँ..

मैं जिस कंपनी मैं काम करता था वो बंद हो चुकी है , अब मे दूसरी कोई नौकरी की तलास मैं हूँ ,
जसे मैं आज एक ऑफिस मैं गया , वह सब कुछ ठीक था , बाद मैं मुझसे कहा गया के मुझे किसी और पोस्ट पर TRIAL के तोर पर रखेंगे.

अब मुझे मेरे काम से हटकर दूसरा काम , क्यों , मेरा वो काम सही नही था, या मैं वो काम सही से नही कर सकता   ,.

जसे सभी के घर वालो को उस से कुछ उम्मीद होती है. वसा ही मुझसे भी है .
मेरी माँ ने पूछा केसा गया interview , मने बोला हाँ  ठीक था.
माँ बोली जॉब मिल जायेगी , मने बोला  देखते हैं .


तो मुझे आज ये आभास हुआ के , क्या में सच में कुछ कर सकता हूँ , अभी तो शुरुआत  है .तो क्या बाद म कुछ कर सकता हूँ , मुझे आज लगा के इस से तो मर ही जाते है ., क्या करना अब .,.बेकार की जिंदगी से .

और शायद यही सब उनलोगों के मन मैं आता होगा ,,.,
और शायद यही कारण  है , उनकी आत्महत्या का ....

अब ये नही समझ आता की वो लोग जो मर जाते हैं , उन्हें लोग कायर क्यों कहते है , क्यों मरने के लिए भी दम चाहए ,पर सायद जीने के लिए उस से भी ज्यादा ..

फिर मैं यही कहूँगा के उन सभी लोगो अपनी इज्ज़त प्यारी होती है , इसलिए वो आत्महत्या कर लेते हैं.,

मेरा भी मन है , इस जिन्दगी को छोड़ने का , पर जब पीछे देखता हूँ , तो घर वाले, दिखाई देते है ..

उनके बारे मे सोच के रह जाता हूँ.,.,.









Thursday 14 July 2016

About Mr. Zakir Naik

जाकिर नाइक की बकवास .,.,



मुस्लिम धर्मगुरु जाकिर नाइक पर शिकंजा कसता जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने उनकी स्पीच को जांचने का आदेश दे दिया है। कहा जा रहा है कि ढाका में पिछले हफ्ते हुए आतंकी हमले में शामिल दो टेररिस्ट डॉक्टर नाइक से इंस्पायर थे। जाकिर अपने जहरीली स्पीच के चलते सुर्खियों में रहे हैं। आज हम आपको उनकी ऐसे ही  कुछ  विवादित स्पीच के बारे में बताने जा रहे हैं।कौन हैं जाकिर नाइक?







- जाकिर का जन्म मुंबई में 18 अक्टूबर 1965 को हुआ था।
- उन्होंने एमबीबीएस किया है। नाइक एक मुस्लिम धर्मगुरु, राइटर और स्पीकर हैं।
- इसके अलावा वो इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन या आईआरएस के फाउंडर और प्रेसिडेंट हैं।
- फेसबुक पर उनके 1 करोड़ 14 लाख फॉलोअर हैं। नाइक पर यूके, कनाडा, मलेशिया समेत 5 देशों में बैन है।
- उनके इस्लामिक फाउंडेशन को भारत और विदेशों से जकात के तौर पर भरपूर डोनेशन मिलता है। 
- वे एक स्कूल भी चलाते हैं जिसमें लेक्चर, ट्रेनिंग, हाफिज बनने की क्लास और इस्लामिक ओरिएंटेशन प्रोग्राम होते हैं।
- पुलिस की परमिशन न मिलने के कारण 2012 से मुंबई में नाइक की कोई पीस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई।



कभी हकलाते थे मुस्लिम धर्म गुरु जाकिर नाइक
- एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले नाइक कभी हकलाते थे, लेकिन साउथ अफ्रीकी प्रीचर अहमद दीदत के लेक्चर से वे इतना इंस्पायर हुए कि डॉक्टर के प्रोफेशन के बजाय उन्होंने धर्म का प्रचार करने का मन बना लिया। 
- मुंबई के डोंगरी इलाके की एक बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर पर नाइक का ऑफिस है। 
- इसमें कई केबिन हैं। यहां आपको कुरान, हदीस सहित कई इस्लामी किताबें रखी मिलेंगी। 
- यह जाकिर का वर्कस्टेशन है। इसे इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) के नाम से जाना जाता है। नाइक ने इसे 1991 में बनाया था।



साउथ अफ्रीकी प्रीचर से हुए थे इंस्पायर
- जाकिर के पिता अब्दुल करीम नाइक कोंकण के रत्नागिरी करीब 60-70 साल पहले मुंबई में शिफ्ट हो गए थे।
- नाइक ने मुंबई के केजी कॉलेज से पढ़ाई की है। बाद में मुंबई के टोपीवाला मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया। 
- एमबीबीएस के आखिरी साल की पढ़ाई के दौरान नाइक ने साउथ अफ्रीका के प्रीचर अहमद दीदत का लेक्चर सुना। 
- दीदत इंग्लिश में बोलते थे और कोट-पैंट पहनने के साथ मुस्लिम टोपी भी लगाते थे।
- दीदत को सुनने के बाद नाइक ने तय किया कि वे ज्यादा वक्त तक डॉक्टर की प्रैक्टिस नहीं करेंगे, प्रीचर बनेंगे।
- आज नाइक भी दीदत की तरह अंग्रेजी में लेक्चर देते हैं। कोट, पैंट, टाई के साथ टोपी भी लगाते हैं।



जाकिर का आतंकियों से क्या है कनेक्शन?
- ढाका हमले में मारे गए 6 में से दो आतंकी निब्रास इस्लाम और रोहन इम्तियाज जाकिर से इन्स्पायर थे। वो उसकी स्पीच सुनते थे।
- इम्तियाज ने पिछले साल जाकिर की स्पीच को फेसबुक पर शेयर भी किया था।
- हमले के दो दिन बाद ही ये खबरें मीडिया में आने लगी थीं कि ये जाकिर नाइक से इन्स्पायर थे।
- इसके बाद ही इंटेलिजेंस एजेंसीज ने नाइक की स्पीच के कंटेंट को खंगालना शुरू कर दिया है।
- पिछले दिनों हैदराबाद से NIA की छापेमारी में अरेस्ट IS के संदिग्धों ने पूछताछ में बताया कि वे भी जाकिर की स्पीच सुनते थे।

(Matlab Hadd hai na , ab ye btaayega , ke kya shi hai kya galat ,)


some Statements

१.) जाकिर नाइक कहते हैं कि इस्लाम सभी धर्मों से ऊपर है। इस्लामी देशों में गैर-मुस्लिमों के लिए धार्मिक स्थल बनाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।

me:(अगर ऐसा  है तो, भाई साहेब आपको तो पैदा होते  ही  मर जाना  चाहए था ,क्युकी आप  भारत मैं पैदा हुए  और ये सनातन देश है , दुसरे धर्म के देश मैं पैदा हो कर आप  तो  नापाक  हो गये  )

२ ). मुस्लिमों को अपनी महिला गुलामों के साथ सेक्स का पूरा अधिकार है।
me :( तो जाकिर जी, आप का धर्म मुस्लमान  नहीं  हो सकता , आप कहीं  aliens तो नही ,  क्युकी हमारे यह के मुसलमान  जसे  भी है , तेरे जसे कंजर  नही है , और  हा कंजर तो समझते हो ना )

३).टेनिस स्टार सानिया मिर्जा को खेलते समय गरिमामय कपड़े पहनने चाहिए।
me :( हाँ  जी सही बात है ,  बुरका और पहन  ले,., बस और  सामने वाले को भी फ़ोन से धमकी दे  देंगे,  ताकि वो हार जाए , जब करोगे बकवास करोगे,., उपर वाले ने अच्छी शक्ल नही दी , पर कम से कम बात तो अच्छी  कर लो )


 ४ .) जाकिर के मुताबिक महिलाओं को सोने के गहने पहनने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
me :( हा तुम पहन लो , बढ़िया है , अब मुझे आलू की सब्जी नही पसंद तो , क्या मैं बोल दू की कोई मुस्लिम आलू की सब्जी नहीं खायेगा )

 ५ .) जाकिर बोलता है के  प्रसाद खाना  गलत है 

जाकिर बोलता है  के मज़ार मस्जिद को तोड़ देना चाहए
 जाकिर बोलता है  शिव  भगवन नही थे 
जाकिर बोलता है राम भगवान्  नही थे 



मुझे तो ये समझ नही आता की,.,. ये बोलता ही क्यों है ,.,.इसने कोंसी कुरआन बढ़ी है ,., सायद उलटी पढ़ी  होगी  


ये  बस लोगो भड़का रहा है ,.,.मैं कहता हूँ की कुरआन , गीता , रामायण , bibel ,इन सब  मैं लिखा है , के ऐसे आदमी को सुन ना भी हराम है , पाप है . इसे क्या पता peace  क्या होता है ,. जो लड़ाई की बात करता है , उसका नाम शांति नही हो सकता  ये तो इसने  मुहं  के खिलाफ ही नाम रखा है .,.

वो कहते है की ,..-



   कैसी मंदिर ,कैसी मस्जिद , ये तो सियासी चाले  हैं,

    जिस्म भेड़ियों के है पर मुहँ पर गाये (Cow ) की खालें  हैं .



Thursday 31 March 2016

लगातार बैठकर काम करने के नुक़सान ? read it fast

 Its too dangerous ,Work on chair for long 

आजकल की ज़्यादातर जॉब्स में घंटों कम्प्यूटर के सामने बैठना पड़ता है। लेकिन लगातार बैठकर काम करना सेहत के लिए काफी नुकसानदेह हो सकता है। इससे आपके शरीर के विभिन्न अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कम्प्यूटरसे निकलने वाली हानिकारक किरणें आपकी आँखों को नुकसान पहुँचाती हैं और गलत तरीके से बैठने के कारण आपके पीठ में दर्द हो सकता है। इसके अलावा अनिद्रा, तनाव, ब्लड प्रेशर की समस्या भी एक ही जगह बैठकर काम करने से हो सकती है।
हाल ही में ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने भी बताया है कि एक ही मुद्रा में लम्बे समय तक बैठे रहना शरीर के लिए बेहद हानिकारक होता है। हम आपको बताते हैं कि लगातार बैठने से आपके शरीर के किस-किस हिस्से को नुकसान पहुँचता है।

लगातार बैठकर काम करना नुकसानदेह


Chair, Person, Man, Jacket, Sitting
work on chair
लगातार बैठकर काम करना

पैर और बाँहों पर असर

पैरों के सुन्न होने का कारण रक्त प्रवाह कम होने लगता है। इसके कारण नाड़ियों को नुकसान पहुँचता है। लम्बे समय तक बैठे रहने से नाड़ियों पर दबाव पड़ता है। इसके अलावा बांहों पर भी असर पड़ता है। शारीरिक गतिविधि की कमी से हाई बीपी या हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है।

फेफड़े और हार्ट पर असर

लगातार बैठकर काम करते हैं तो आप में पल्मोनरी एम्बोलिज्म यानी लंग में खून के थक्के जमने की आशंका दोगुनी हो जाती है। इसका असर दिल पर भी पड़ता है।

उँगलियों में समस्या

कम्प्यूटर के की-बोर्ड पर घंटों टाइप करने से उँगलियों और कलाई में दर्द होता है। इसके कारण आपका हाथ भी प्रभावित हो सकता है। तेजी से एक ही जगह पर कलाई रखकर की-बोर्ड पर काम करने से उँगलियों में सूजन, दर्द, झुनझुनी की समस्या होती है।

आँखों को नुकसान

कई घंटों तक कम्प्यूटर स्क्रीन से सामने लगातार बैठकर काम करने से आँखों को नुकसान पंहुचता है। क्योंकि कम्प्यूटर स्क्रीन से निकलनी वाली नीली तरंगें आपकी आँखों को नुकसान पहुँचाती हैं।

पीठ और पेट पर असर

लम्बे समय तक बैठे रहने से रीढ़ की हड्डी पर सबसे ज़्यादा दबाव पड़ता है। रीढ़ में संकुचन पैदा होने लगता है क्योंकि दबाव के चलते मांसपेशियां हार्ड हो जाती हैं। ऐसे में एकदम उठना चोट का कारण बन सकता है। पीठ के साथ पेट पर भी लगातार बैठने का बुरा असर पड़ता है।

सिर और गर्दन

लम्बे समय के लिए बैठे रहने से ख़ून के थक्के बन सकते हैं, जो दिमाग़ तक पहुँच कर स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं। साथ ही यह गर्दन को भी नुकसान पहुँचाता है। दिन भर के दौरान टांगों में इकट्ठा हुआ तरल गर्दन तक चला जाता है, जिसके चलते स्लीप एप्निया जैसी समस्या हो सकती है।
यही नही लगातार बैठने से ,आपकी काम इच्छा ,आपका घरलू जीवन खराब होने लगता है ,.,
आपका सेक्स से मन हटने लगता है, आपके अन्दर और भी पोषिक तत्वों की कमी होने लगती है,.
आपका जीवन निरस्त हो जाता है....

इस से बचाव बस यही है के,... आप कुछ समय बाद उठते  रहें , पानी के बहाने , कसे भी, और अपनी शारीर को इधर उधर घुमाएं ,सुबह सुबह योग करे , कुछ व्यायाम नियमित रूप से करे .,और अपने खाना आचा रखे ,.,

अपना life style सुधारे , जसे की सुना है हाल फिलहाल ही मैं किसी १० साल के बच्चे की bypass surgery हुई है , जो की आश्चर्य की बात है ,.,इतनी कम उम्र मैं होना,..

आज का यही मंत्र है ,. अच्छा खाओ , आचा पियो , खुश रहो , चिंता से दूर , नींद  पूरी लो 
धन्यवाद .

comment please.

Monday 28 March 2016

विटामिन बी12 के बारे में जानने योग्य बातें.


                     Vitamin B12 
मनुष्य के सम्पूर्ण विकास के लिए पोषक तत्व, मिनरल्स, विटामिन्स, प्रोटीन और खनिज लवणों की आवश्यकता होती है। लेकिन इस सबके साथ साथ एक ख़ास विटामिन बी12 (Vitamin B12) भी सम्पूर्ण विकास के लिए बेहद ज़रूरी है। यह एक ऐसा पोषक तत्व है, जो खाद्य पदार्थों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होता है जिससे ज़्यादातर लोगो में इस विटामिन की कमी पायी जाती है।
वाइटमिन बी12 का रासायनिक नाम कोबालामिन हैं। इस विटामिन में कोबाल्ट (Cobalt) धातु पाया जाता हैं। यह विटामिन रक्त का थक्का बनाने, स्मरण शक्ति को बनाए रखने और महिलाओं के स्वास्थ्य आदि के लिए बेहद ज़रूरी है।
VitaminB12s

विटामिन बी12
What is B12 ?
 According to Wikipedia, “B12 is a water-soluble vitamin with a key role in the normal functioning of the brain and nervous system, and for the formation of blood. It is one of the eight B vitamins. It is normally involved in the metabolism of every cell of the human body, especially affecting DNA synthesis and regulation, but also fatty acid synthesis and energy production. It is the largest and most structurally complicated vitamin.”



you can also take this vitamin from, untreated water , like in Villages from Handpump, canels, 

Rivers, Wells, 

this vitamin is very necessary to our body nutritions.

विटामिन बी12 का महत्त्व

विटामिन बी12 हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह शरीर में ऊर्जा का संचार करता है और बुढ़ापे को दूर रखता है। इसकी कमी से शरीर में रक्त की कमी हो सकती है। यह शरीर में रक्त कणिकाओं के निर्माण में सहायक है। यह हमारे तंत्रिका तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में सहायक है। इसकी कमी के कारण शरीर कमज़ोर हो जाता है और मस्तिष्क अघात भी हो सकता है। इसे अपने भोजन में शामिल करने से चिड़चिड़ेपन, निम्न रक्तचाप, तनाव और कंपकंपाहट आदि लक्षणों से बचा जा सकता है। इसके इन्हीं गुणों के कारण इसे “Anti-Stress Vitamin” भी कहा जाता है।

विटामिन बी12 के शाकाहारी स्रोत

दालें, 
अंकुरित अनाज,
 घी, 
दूध,
 दही, 
मक्खन,
 आलू, 
गाजर,
 मूली शलजम, 
अरबी,
 शकरकंदी,
 पनीर,
 खोया,
मशरूम,
मट्ठा आदि में वाइटमिन बी12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

विटामिन बी12 की कमी के कारण

वाइटमिन बी12 की कमी के कारण परनिशस एनीमीया (Pernicious Anaemia) रोग होता हैं। यह एक विशेष प्रोटीन इंट्रींसिक फ़ैक्टर (Intrinsic factor) के अवशोषण के लिए बेहद ज़रूरी होता है। कुछ लोगों में इसकी कमी के कारण आहार से वाइटमिन बी12 शरीर में अवशोषण नहीं हो पाता हैं और जिससे उन्हें इस विटामिन की कमी हो जाती है। जिन लोगों में किसी कारण से ऑपरेशन कर आमाशय या छोटी आंत का कुछ हिस्सा निकाल दिया जाता हैं, उनमें भी विटामिन बी12 की कमी पाई जाती हैं।

विटामिन बी12 की कमी के लक्षण

इसकी कमी से कमज़ोरी,
 जल्दी थक जाना,
 रक्त की कमी, 
पाचन शक्ति का कमजोर होना, 
सरदर्द,
 अधिक चिंता होना,
 पूरे शरीर और विशेषकर हाथों और पैरों में कमज़ोरी होना, 
याददास्त या स्मरण शक्ति का कमज़ोर होना,
 हाथों और पैरों की किसी भी भाग का अचानक सुन हो जाना,
 सेक्स के लिए मन न करना,
 त्वचा का पीला पड़ना, 
धड़कन का तेज़ होना, 
मुंह में छाले पड़ना,
 आँखों में कमज़ोरी, 
अवसाद,
 अनियमित मासिक चक्र, 
सोचने समझने में परेशानी होना आदि है।

विटामिन बी12 की कमी का निदान करने के लिए परीक्षण

सीरम विटामिन बी12 टेस्ट । Serum Vitamin B12 Test

इस जांच में रक्त में लाल रक्त कण में वाइटमिन बी12 की मात्रा का पता लगाते हैं।

बोन मेरो बीओप्सी । Bone Marrow Biopsy

इस जांच में अस्थि मज्जा का परिक्षण कर वाइटमिन बी12 की मात्रा का पता लगाते हैं।

एंटीबॉडी टेस्ट। Antibody Test

इस परिक्षण में इंट्रीनसिक फैक्टर के एंटीबॉडीज की जांच की जाती है जिससे की Pernicious Anaemia का निदान किया जाता हैं।

श्चिल्लिंग टेस्ट । Schilling Test

इस जांच में शरीर में रेडियो एक्टिव वाइटमिन बी12 देकर इंट्रीनसिक फ़ैक्टर की जांच की जाती हैं।
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please make comment if you like it ...

Tuesday 22 March 2016

JNU or JNU के Facts

JNU

JNU


1. “ज़वाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी” की स्थापना 1969 में संसद द्वारा पारित कानून के जरिए हुई थी.

2. नेपाल के 36वें प्रधानमंत्री बाबू राम भट्टराई ने 1986 में जेएनयू से पीएचडी की थी.

3. JNU सेना के उन ज़वानो को भी डिग्री है, जिनकी भर्ती NDA के जरिए हुई थी.

4. ज़ेएनयू में सिर्फ पांच रूपए में एडमिशन मिलता हैं.

5. साल 2010 में जब नक्सली हमले में दंतेवाड़ा में 75 ज़वानों की मौत हुई तो ज़ेएनयू में विज़य दिवस मनाया गया था.

6. जेएनयू में हर स्टूडेंट पर सलाना सरकारी खर्च तीन लाख आता हैं.

7. जब पूरे देश में दुर्गा पूजा मनायी जाती है तो ज़ेएनयू में महिषासुर दिवस मनाया जाता हैं.

8. साल 2012 में ज़ेएनयू में बीफ़ फेस्टिवल मनाया गया था जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगायी थी.

9. दिल्ली में 50 प्रतिशत रेप JNU से जुड़े हुए हैं.

10. हर साल ज़ेएनयू में रेप के 17 मामले सामने आते हैं.

11. हर साल ज़ेएनयू को 244 करोड़ रूपये सरकार देती हैं.

12. JNU में हर रोज 3000 इस्तेमाल किए हुए “कंडोम” मिलते हैं.

13. ज़ेएनयू परिसर में रोजाना सिगरेट के 10000 से ज्यादा और बीड़ी के 4000 जले हुए टुकड़े मिलते हैं.

14. इसके अलावा JNU में रोज़ाना 2000 से ज्यादा शराब की बोतलें 3000 बीयर की कैन मिलती हैं.


15. इन सब के बावज़ूद साल 2012 में “NAAC” ने JNU को 4 में से 3.9 ग्रेड दिए थे. ये किसी भी यूनिवर्सिटी को दिया सबसे ज्यादा ग्रेड हैं.



भारत देश के खिलाफ बोलना JNU का फैशन सा है .

शिक्षा के मंदिर JNU में देशद्रोही की जय-जय, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे क्यों?, देखें वीडियो



Monday 21 March 2016

Shaheed-e-Azam Bhagat Singh ( भगत सिंह ) /शहीद दिवस

                                                           शहीद दिवस    


Bhagat Singh,                          Sukhdev,                              Rajguru


23 मार्च भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। 23 मार्च 1931 के दिन शहीद भगत सिंह को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया गया था।
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Bhagat singh

Shaheed-e-Azam Bhagat Singh was a revolutionary and martyr, born on 27 September 1907 at the village of Banga, Lyallpur district (now in Pakistan) the second son of Kishan Singh and Vidya Vati. Bhagat Singh was imbued from childhood with the family's spirit of patriotism. At the time of his birth, his father was in jail for his connection with the Canal Colonization Bill agitation, in which his brother, Ajit Singh (Bhagat Singh's uncle), took a leading part.


भगत सिंह एक प्रखर देशभक्त और अपने सिद्धान्तों से किसी भी कीमत पर समझौता न करने वाले बलिदानी थे। भगतसिंह के जो प्रत्यक्ष योगदान है उसके कारण भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में उनका कद इतना उच्च है कि उन पर अन्य कोई संदिग्ध विचार धारा थोंपना कतई आवश्यक नहीं है। भगतसिंह ने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है।
Bhagat singh House


भगत सिंह (संधू जाट) का जन्म 1907 में किशन सिंह और विद्यावती के घर चाल नंबर 105, जीबी, बंगा ग्राम, जरंवाला तहसील, ल्याल्लापुर जिला, पंजाब में हुआ, जो ब्रिटिश कालीन भारत का ही एक प्रान्त था। उनके पूर्वजों का ग्राम खटकर कलां था, जो नवाशहर, पंजाब (अभी इसका नाम बदलकर शहीद भगत सिंह नगर रखा गया है) से कुछ ही दूरी पर था। भगत सिंह शहादत के समय एक 23 वर्ष के युवक ही थे। 

उस काल में 1920 के दशक में भारत के ऊपर दो प्रकार की विपत्तियाँ थीं। 1921 में परवान चढ़े खिलाफत के मुद्दे को कमाल पाशा द्वारा समाप्त किये जाने पर कांग्रेस एवं मुस्लिम संगठनों की हिन्दू-मुस्लिम एकता ताश के पत्तों के समान उड़ गई और सम्पूर्ण भारत में दंगों का जोर आरंभ हो गया। हिन्दू मुस्लिम के इस संघर्ष को भगत सिंह द्वारा आज़ादी की लड़ाई में सबसे बड़ी अड़चन के रूप में महसूस किया गया, जबकि इन दंगों के पीछे अंगे्रजों की फूट डालो और राज करो की नीति थी। इस विचार मंथन का परिणाम यह निकला कि भगत सिंह को "धर्म" नामक शब्द से घृणा हो गई। उन्होंने सोचा कि दंगों का मुख्य कारण धर्म है।

उनकी इस मान्यता को दिशा देने में मार्क्सवादी साहित्य का भी योगदान था, जिसका उस काल में वे अध्ययन कर रहे थे। दरअसल धर्म दंगों का कारण ही नहीं था, दंगों का कारण मत-मतान्तर की संकीर्ण सोच थी। धर्म पुरुषार्थ रुपी श्रेष्ठ कार्य करने का नाम है, जो सार्वभौमिक एवं सर्वकालिक है। जबकि मत या मज़हब एक सीमित विचारधारा को मानने के समान हैं, जो न केवल अल्पकालिक हैं अपितु पूर्वाग्रह से युक्त भी हैं। उसमें उसके प्रवर्तक का सन्देश अंतिम सत्य होता है। मार्क्सवादी साहित्य की सबसे बड़ी कमजोरी उसका धर्म और मज़हब शब्द में अंतर न कर पाना है।

1919 में, जब वे केवल 12 साल के थे, सिंह जलियांवाला बाग़ में हजारो निःशस्त्र लोगों को मारा गया। भगत सिंह ने कभी महात्मा गांधी के अहिंसा के तत्व को नहीं अपनाया, उनका यही मानना था की स्वतंत्रता पाने के लिए अहिंसा पर्याप्त नहीं है। वे हमेशा से गांधीजी के अहिंसा के अभियान के पक्ष धर नहीं थे। उनके अनुसार 1922 के चौरी चौरा कांड में मारे गये ग्रामीण लोगो के पीछे का कारण अहिंसक होना ही था। भगत सिंह ने कुछ युवायो के साथ मिलकर क्रान्तिकारी अभियान की शुरुवात की जिसका मुख्य उदेश्य हिसक रूप से ब्रिटिश राज को खत्म करना था।

भगत सिंह के अनुसार साम्राज्यवादियों को गद्दी से उतारने के लिए भारत का एकमात्र हथियार श्रमिक क्रान्ति है। उन्होंने क्रांति का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा है- "जनता के लिए जनता का राजनीतिक शक्ति हासिल करना ही वास्तव ‘क्रान्ति’ है, बाकी सभी विद्रोह तो सिर्फ मालिकों के परिवर्तन द्वारा पूँजीवादी सड़ाँध को ही आगे बढ़ाते हैं। किसी भी हद तक लोगों से या उनके उद्देश्यों से जतायी हमदर्दी जनता से वास्तविकता नहीं छिपा सकती, लोग छल को पहचानते हैं। भारत में हम भारतीय श्रमिक के शासन से कम कुछ नहीं चाहते।" 


Sardar Bhagat Singh



इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की I भगत सिंह जी महात्मा गांधी जी से प्रेरित होकर उनके असहयोग आंदोलन में कूद गये I बाद मैं वे क्रांतिकारियों से मिल गये और देश को आजाद कराने में जुट गये I 30 अक्टूबर 1928 को साइमन कमीशन के विरोध में लाहौर में लोग नारे लगा रहे थे तो अंग्रेजो ने लोगों पर डण्डे चलाये जिसमें लाला लाजपतराय जी की मौत हो गयी I
इनकी मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह और उनके दोस्तों ने स्कॉट सांडर्स को गोलियों से भून दिया I उसके बाद भगत सिंह रूप बदल कर कंही और चले गये I फिर भगत सिंह ने लोकसभा में बम फेंका, पर बम ऐसी जगह फेंका कि किसी को चोट न लगे I फिर इन्होने असेंबली में पर्चे फेंके और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाये I
इनको पकड़ लिया गया और 1931 को भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव तीनो को फांसी दे दी गयी I इससे सारा देश भड़क उठा और जनता ने अंग्रेजो के विरुद्ध विद्रोह कर दिया I इनकी शहादत रंग लायी और 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया और उस स्थान पर भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव तीनो की समाधियां बना दी गई I आज भी लोग वंहा पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं I


लोगो का प्यार आज इस कदर बढ़ चुका है , के वो आज कल अपने देश के रूपये पर भी भगत सिंह की फोटो चाहते हैं , उन्होंने इसे अपनी इक मुहीम बना राखी  है ,.
Bhagat singh Rupees note
 


भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार

राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आज़ाद है.
यदि बहरों को सुनना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा. जब हमने बम गिराया तो हमारा धेय्य किसी को मारना नहीं थ. हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था . अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आज़ाद करना चहिये.

किसी को “क्रांति ” शब्द की व्याख्या शाब्दिक अर्थ में नहीं करनी चाहिए। जो लोग इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते हैं उनके फायदे के हिसाब से इसे अलग अलग अर्थ और अभिप्राय दिए जाते है.

ज़रूरी नहीं था की क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो। यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था.

आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसके आदि हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की ज़रुरत है.

 जो व्यक्ति भी विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी , उसमे अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनौती देनी होगी.

I emphasize that I am full of ambition and hope and of full charm of life. But I can renounce all at the time of need, and that is the real sacrifice.
मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्त्वाकांक्षा , आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ. पर मैं ज़रुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ, और वही सच्चा बलिदान है.


पूज्य पिता जी, नमस्ते! 

मेरी ज़िंदगी भारत की आज़ादी के महान संकल्प के लिए दान कर दी गई है। इसलिए मेरी ज़िंदगी में आराम और सांसारिक सुखों का कोई आकर्षण नहीं है। आपको याद होगा कि जब मैं बहुत छोटा था, तो बापू जी (दादाजी) ने मेरे जनेऊ संस्कार के समय ऐलान किया था कि मुझे वतन की सेवा के लिए वक़्फ़ (दान) कर दिया गया है। लिहाज़ा मैं उस समय की उनकी प्रतिज्ञा पूरी कर रहा हूं। उम्मीद है आप मुझे माफ़ कर देंगे।

आपका ताबेदार,
भगत सिंह



Thursday 10 March 2016

Inventions and Discoveries by Scientist(inventors)

                                

                               Do you Know ?  

                        Read This is so Important



Scientist Name



Adding Machine, 1642. Inventor : Blaise Pascal (France) (1623-62).          

Addressograph, 1893. Inventor : J.S. Duncan (U.S.). Manufactured in Chicago, Illinois.       


USAF Plane
airplane
Airplane, 1903. Inventors: Orville Wright (1871-1948) and Wilbur Wright (1867-1912), (U.S.) Kitty Hawk, North Carolina.

Airship (non-rigid), 1852. Inventor : Henri Giffard (France) (1825-82). Steam-powered propeller flew over Paris (1852).

Airship (rigid), 1900. Inventor : Graf Ferdinand von Zeppelin (Germany) (1838- 1917). Bodensee.

Antiseptic, 1867. Inventor : Dr. Joseph Lister (England).

Arc Lamp, 1879. Inventor : C.F. Brush (U.S.) (1849-1929). Cleveland, Ohio.

Argon, 1894. Discoverers : Sir William Ramsay and Baron Ray Leigh (Great Britain).

Aspirin, 1899. Inventor : Dr. Felix Hoffman, Germany.            



Atom Bomb, 1945. Inventor : Julius Robert Oppenheimer (U.S) (1904-1967).


Autogiro, 1923. Inventor : Juan de la Cierva (Spain) (1896-1963). Horizontal unpowered rotor.


Automobile (steam), c. 1769. Inventor : Nicolas Cugnot (France) (1725-1804). Three-wheeled military tractor. Oldest surviving is Italian Bordino (1854) in Turin.


Automobile (gasoline), 1855. Inventor : Karl Benz (Germany) (1844-1929). Earliest model by Father Ferdinand Verbiest (d. 1687) c. 1665 in China. Earliest internal combustion automobile built (1862-63) by Jean Joseph Etienne Lenior (1822-1900) (France). First run by Benz Motorwagon, Manneheim in November or December 1885. Patented in January 29,1886. First powered handcartwith internal combustion engine was by Siegfried Marcus (Austria) (c. 1864).
Balloon, 1783. Inventor : Jacques Montgolfier (1755-99) and Joseph Montgolfier (France) (1740-1810). Tethered flight, Paris (October 15); manned free flight, Paris.

Ballpoint Pen, 1888. Inventor : John J. Loud (U.S.). First practical models by Ladisloa and George Biro (Hungary) in 1938.

Barbed Wire, 1873. Inventor : Joseph F. Glidden (U.S.); manufactured at De Kalb, Illinois.
Bicycle Tyres (pneumatic), 1888. Inventor : John Boyd Dunlop (Scotland) (1840-1921).
Bifocal Lens, 1780. Inventor : Benjamin Franklin (1706-90) (U.S.). His earliest experiments began c. 1760.
Bullet, 1849. Inventor : Claude Minie (France).
380 Bullets
Bullet
Car Radio, 1929. Inventors : William Lear and Elmer Wavering (USA).
Car Radio
Car radio
Cash Register, 1879. Inventor : James Ritty (U.S.). Built in Dayton, Ohio. Taken over by National Cash Register Co. in 1884.
Cellophane, 1900. Inventor : I.E. Brandenberger (Switzerland). Machine production not before 1911.
Cell Phone
cellphone
Celluloid, 1861. Inventor : Alexander Parkes (England) (1813-90). Invented in Birmingham, England; developed and trade marked by I.W. Hyatt (U.S.) in 1873.
Cement, 1824. Inventor : Joseph Aspdin (England).
cement rendering texture
cement
Chlorine, 1774. Discoverer : Karl Wilhelm Scheele (Sweden).
Cinema, 1895. Inventors: Auguste Marie Louis Nocolas Lumicre (1862-1954) and Louis Jean Lumiere (France) (1864-1948). Development pioneers were Etienne Jules Marcy (France) (1830-1903) and Thomas A. Edison (U.S.) (1847-1931). First public showing, Paris (December 28, 1895)

Clock (mechanical), 725. Inventors: I-Hsing and Liang Ling-Tsan (China). Earliest escapement 600 years before Europe.
Close up of vintage pocket watch Showing Gears;time concept
clock
Clock (pendulum), 1657. Inventor : Christian Huygens (Netherlands) (1629-92).
Diesel Engine, 1895. Inventor : Rudolf Diesel (Germany) (1858-1913). Lower pressure oil engine patent by Stuart Akroyd, 1890. Diesel's first commercial success, Augsberg, 1897.
Disc Brake, 1902. Inventor : Dr. F. Lanchester (England). First used on aircraft 1953 (Dunlop Rubber Co.).
Electric Battery, 1800. Inventor : Volta (Italian)
Electric Fan, 1882. Inventor : Wheeler (USA). Electric Flat Iron, 1882. Inventor : H.W. Seeley (U.S.), New York City.
Electric Lamp, 1879. Inventor : Thomas Alva Edison (U.S.) (1847-1931). First practical demonstration at Menlo Park, New Jersey.
Electric Motor (DC), 1873. Inventor : Zenobe Gramme (Belgium) (1826-1901). Exhibited in Vienna.
Electric Motor (AC), 1888. Inventor : Nikola Tesla (U.S.) (1856-1943).
Electromagnet, 1824. Inventor : William Sturgeon (England) (b. 1783); improved by Joseph Henry (U.S.) 1831.
Electronic Computer, 1942. Inventor : J.G. Brainerd, J.P. Eckert, J.W. Mauchly (U.S.). ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Circulator), University of Pennsylvania, Philadelphia.
Elevator, 1852. Inventor : Elisha G. Otis (U.S.) (1811-61). Earliest elevator at Yonkers, N.Y.
Going Up
elevator
Film (musical), 1923. Inventor : Dr. Lee de Forest (U.S.) New York demonstration (March 13).
Film (talking), 1926. Inventor : Warner Bros. (U.S.). First release Don Juan, Warner Theatre, New York (August 5).
Fountain Pen, 1884. Inventor : Lewis E. Waterman (U.S.) (1837-1901). Patented by D. Hyde (U.S.), 1830, undeveloped.
Fountain pen 1
fountain pen
Gas Lighting, 1792. Inventor : William Murdock (Scotland), (1754-1839). Private house in Cornwall, 1792; Factory, Birmingham, 1798; London Street, 1807.
Generator, 1860. Inventor : Piciontti (Italian). Continuous current: improved by Gramme (Belgium). 1870.
Glass (stained), c. 1080. Inventor : Augsberg (Germany). Earliest English, c. 1170, York Minister.
Glass
glass


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