Saturday 27 February 2016

Chandra Shekhar Azad (चन्द्रशेखर आज़ाद )

                                चन्द्रशेखर आज़ाद  

                                          

Chandra shekhar Azad
                                      


                   दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे,


            आज़ाद हैं, आज़ाद ही रहेंगे |  —  चन्द्रशेखर आज़ाद



क्या शब्द है, ये इन्हें सुनकर पढ़कर ही जोश आजाये ......


ये ऐसे महापुरुष थे , जिन्हें हर भारतीय , दिल से प्रणाम  करता  है .

क्या कहें ऐसे व्यक्ति के बारे मैं , इनकी शैली ही अद्भुत थी , इनका 

जीवन एक मिशाल  है .


Few Lines on Chandra Shekhar Azad :- 

Chandra Shekhar Azad was one of the indian freedom fighter.
He was born on 23 July 1906.
His real name was Chandra Shekhar Tiwari.
He started his education in Bhavra.
He was inspired by the Non Cooperation movement of Mahatma Gandhi.
He actively participated in revolutionary activities.
He was involved in Kakori Train Robbery in 1926.
He died on  27th February 1931, In Alfred Park, Allahabad.

बहुत कम लोग जानते हैं , के ये ब्राह्मण थे .
वसे महापुरुषों की जात नही होती , वे तो बस महान होते हैं.

चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय
काकोरी ट्रेन डकैती और साण्डर्स की हत्या में शामिल निर्भय क्रांतिकारी 
चंद्रशेखर आजाद, 
kakori station



क्रांतिकारी जीवन:

1922 में गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया गया. इस घटना ने चंद्रशेखर आजाद को 

बहुत आहत किया. उन्होंने ठान लिया कि किसी भी तरह देश को स्वतंत्रता दिलवानी ही है. एक युवा 

क्रांतिकारी प्रनवेश चैटर्जी ने उन्हें हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन जैसे क्रांतिकारी दल के संस्थापक राम 

प्रसाद बिस्मिल से मिलवाया. आजाद इस दल और बिस्मिल के समान स्वतंत्रता और बिना किसी भेद-भाव के 

सभी को अधिकार जैसे विचारों से बहुत प्रभावित हुए. चंद्रशेखर आजाद के समर्पण और निष्ठा की पहचान 

करने के बाद बिस्मिल ने चंद्रशेखर आजाद को अपनी संस्था का सक्रिय सदस्य बना दिया. अंग्रेजी सरकार के 

धन की चोरी और डकैती जैसे कार्यों को अंजाम दे कर चंद्रशेखर आजाद अपने साथियों के साथ संस्था के लिए 

धन एकत्र करते थे. लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए चंद्रशेखर आजाद ने अपने साथियों के 

साथ मिलकर सॉण्डर्स की हत्या भी की थी. आजाद का यह मानना था कि संघर्ष की राह में हिंसा होना कोई 

बड़ी बात नहीं है इसके विपरीत हिंसा बेहद जरूरी है. जलियांवाला बाग जैसे अमानवीय घटनाक्रम जिसमें 

हजारों निहत्थे और बेगुनाहों पर गोलियां बरसाई गईं, ने चंद्रशेखर आजाद को बहुत आहत किया जिसके बाद 

उन्होंने हिंसा को ही अपना मार्ग बना लिया.




चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह: 

1925 में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की गई. 1925 में काकोरी कांड हुआ जिसके आरोप 

में अशफाक उल्ला खां, बिस्मिल समेत अन्य मुख्य क्रांतिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई. जिसके बाद 

चंद्रशेखर ने इस संस्था का पुनर्गठन किया. भगवतीचरण वोहरा के संपर्क में आने के बाद चंद्रशेखर आजाद 

भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु के भी निकट आ गए थे. इसके बाद भगत सिंह के साथ मिलकर चंद्रशेखर 

आजाद ने अंग्रेजी हुकूमत को डराने और भारत से खदेड़ने का हर संभव प्रयास किया.




Pitol of Azad


चंद्रशेखर आजाद का निधन

1931 में फरवरी के अंतिम सप्ताह में जब आजाद गणेश शंकर विद्यार्थी से मिलने सीतापुर जेल गए तो विद्यार्थी ने उन्हें इलाहाबाद जाकर जवाहर 

लाल नेहरू से मिलने को कहा. चंद्रशेखर आजाद जब नेहरू से मिलने आनंद भवन गए तो उन्होंने चंद्रशेखर की बात सुनने से भी इंकार कर दिया. 

गुस्से में वहां से निकलकर चंद्रशेखर आजाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ एल्फ्रेड पार्क चले गए. वे सुखदेव के साथ आगामी योजनाओं के विषय 

में बात ही कर रहे थे कि पुलिस ने उन्हे घेर लिया. लेकिन उन्होंने बिना सोचे अपने जेब से पिस्तौल निकालकर गोलियां दागनी शुरू कर दी. दोनों 

ओर 

से गोलीबारी हुई. लेकिन जब चंद्रशेखर के पास मात्र एक ही गोली शेष रह गई तो उन्हें पुलिस का सामना करना मुश्किल लगा. चंद्रशेखर आजाद ने 

पहले ही यह प्रण किया था कि वह कभी भी जिंदा पुलिस के हाथ नहीं आएंगे. इसी प्रण को निभाते हुए उन्होंने 27th फरवरी 1931 को वह बची हुई 

गोली खुद को मार ली.

पुलिस के अंदर चंद्रशेखर आजाद का भय इतना था कि किसी को भी उनके मृत शरीर के के पास जाने तक की हिम्मत नहीं थी. उनके शरीर पर गोली 

चला और पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही चंद्रशेखर की मृत्यु की पुष्टि हुई. बाद में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात जिस पार्क में उनका निधन हुआ था 

उसका नाम परिवर्तित कर चंद्रशेखर आजाद पार्क और मध्य प्रदेश के जिस गांव में वह रहे थे उसका धिमारपुरा नाम बदलकर आजादपुरा रखा गया.



last pic of chandra shekhar azad


Some lines by or for chandra shekhar Azad:-


If yet your blood does not rage, then it is water that 

flows in your veins. For what is the flush of youth, if it is 

not of service to the motherland.


Chandra Shekhar Azad


Don't see others doing better than you, beat your own records everyday, because 
success is a fight between you and yourself.

Chandra Shekhar Azad

चंद्रशेखर आज़ाद से पुछा  तो उन्होंने जवाब मैं  कहा  था :-

                                     तुम्हारा नाम?
                                 आज़ाद
                        पिता का नाम?
                                 स्वाधीन
                            तुम्हारा घर?
                                  जेलखाना 



ऐसे महापुरुष कभी सदियों मैं ही जन्म लेते है .




 किसी ने क्या खूब  कहा  है :-

जो भरा नहीं भावों से , बहती जिसमे रस धार नही ...
वह हृद्य नहीं पत्थर है , जिसमे स्वदेश का प्यार नहीं .....


मेरे भारत देश को ऐसे ही सोने की चिडिया नहीं कहते थे. वो थी . तभी तो उसने 


ऐसे ऐसे महापुरुषों को जन्मा था ,.

जिनकी  आज भी कोई कल्पना नही कर  सकता  


ऐसे ही थे हमारे वीर , महान , तेजस्वी ,  स्वाभिमानी , चंद्रशेखर आज़ाद