Thursday, 14 January 2016

What is Mohenjo-daro ( मोहन जोदड़ो) ?

         Mohenjo-Daro (मोहन जोदड़ो/ 'मोयें जो दड़ो')

                       

Basically "Mohenjo-Daro " means  Mountain of the dead / मुर्दों का टीला  in  "Sindhi"  language .


 मोहन जोदड़ो शब्द का सही उच्चारण है 'मोयें जो दड़ो' ।

 English pronunciation:-Moenjo-daro



Mohenjo Daro is an upcoming epic adventure-romance film directed by Ashutosh Gowariker and produced by Ashutosh Gowariker Productions and Disney India.


Mohenjo-daro was discovered in 1922 by R. D. Banerji, an officer of the Archaeological 

Survey of India, two years after major excavations had begun at Harappa.

 Many publications still state that Mohenjo-daro is located in India (presumably referring to 

ancient India), but since the creation of Pakistan in 1947, the site has been under the 

protection of the Department of Archaeology and Museums, Government of Pakistan.


 Mohenjo-daro is located in Larkana District on the right bank

 of the Indus River in Sindh.


The City of Mohenjo-Daro


In its time, Mohenjo-Daro was a model of city planning. Straight, wide streets, some as wide as 30 feet (about 9 m), crisscrossed the city These streets were carefully laid out to form rectangular blocks for houses and other buildings.

Even the smallest city houses had separate rooms inside for cooking, sleeping, and bathing. Some even had a separate room for a well. Almost every house in  " Mohenjo-Daro" had its own bathroom, some with polished brick floors. Family members showered by pouring fresh water over themselves with jugs. The runoff water flowed through brick pipes into a city drain system running along the main streets.


Photo: Ruins of Mohenjo Daro


The Great Bath

This is one of the most amazing things about the city—the Great Bath is the name given to a 8 feet deep, 23 feet wide and 39 feet long bathing pool built with waterproof bricks! That, after a pool bath, you take a proper bath is necessary was perfectly known to our ancestors; and, it was with this vision that they had created numerous small changing rooms surrounding the great bath, with an attached bathroom to each room!
The-Great-Bath

Ornaments

Well, we all love to wear beaded jewelry made of fascinating precious stones in myriad colors, don’t we? But, you would be surprised to know that our ancestors too thought alike! Historians and archeologists have excavated beautiful silver pieces adorned with colorful stones like agate, red carnelian, emerald and lapis lazuli among others. They used to wear not only earrings, finger rings, necklaces, bracelets, but also other body decorations too!

Ornaments
The main profession of the people of indus valleycivilization were 
trading and farming. Besides rice,wheat they also produced 
cotton,dates in large quantity.

Mohenjo-daro was built in the 26th century BCE
 It was one of the largest cities of the ancient Indus Valley Civilization, also known as the Harappan Civilization,

bronze statuette dubbed the "Dancing Girl", 10.5 centimetres (4.1 in) high , and some 4,500 years old, was found in 'HR area' of Mohenjo-daro in 1926
John Marshall, another archeologist at Mohenjo-daro, described the figure as "a young girl, her hand on her hip in a half-impudent posture, and legs slightly forward as she beats time to the music with her legs and feet.

In 1927, a seated male soapstone figure was found in a building with unusually ornamental brickwork and a wall-niche. 
The Pashupati Seal is the name of a steatite seal discovered at the Mohenjo-daro archaeological site,The figure has been interpreted by some scholars as a yogi, and by others as a three-headed "proto-Shiva" as "Lord of Animals".


अतः मोहन जोदड़ो  का  नाम भ्रम  के कारण  ऐसा लिया  गया  है . दरअसल यह  सिन्धी शब्द  मोयें जो-दड़ो  है .








Some Major Excavations are:-



   
SitesExcavated By
HarappaR B Dayaram Sahni (1921)
Mohenjo DaroR D Banerjee (1922)
LothalS R Roa
BanwaliR S Bisht
Thanks...



Monday, 11 January 2016

Makar Sankranti main kay hota hai ?

                                    
                     What is Makar Sankranti ?
                                   

                             मकर संक्रांति क्या  है , और कब मनायी  जाती है .


                        मकर संक्रांति हमेशा 15 जनवरी को ही मनाया जाता  है ? . 



शताब्दी के अनुसार मकर संक्रान्ति मनायें जाने का क्रम कुछ इस प्रकार है- 


16 वी 17 वी शताब्दी में मकर संक्रान्ति 9 व 10 जनवरी को मनाई जाती थी। 
17 वी 18 वी शताब्दी में मकर संक्रान्ति 11 व 12 जनवरी को मनाई जाती थी।
 18 वी 19 वी शताब्दी में मकर संक्रान्ति 12 व 13 जनवरी को मनाई जाती थी। 
19 वी 20 वी शताब्दी में मकर संक्रान्ति 14 व 15 जनवरी को मनाई जायेंगी।
 21 वी 22 वी शताब्दी में मकर संक्रान्ति 14, 15 व 16 जनवरी को मनाई जायेंगी।





 मकर संक्रान्ति  हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रान्ति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिये इस पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं।










मकर संक्रान्ति का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। जैसा कि निम्न श्लोक से स्पष्ठ होता है-


स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षं प्राप्यति॥


माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।




मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहाँ पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी। ऐसा जानकर सम्पूर्ण भारतवर्ष में लोगों द्वारा विविध रूपों में सूर्यदेव की उपासना, आराधना एवं पूजन कर, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की जाती है। सामान्यत: भारतीय पंचांग पद्धति की समस्त तिथियाँ चन्द्रमा की गति को आधार मानकर निर्धारित की जाती हैं, किन्तु मकर संक्रान्ति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है। इसी कारण यह पर्व प्रतिवर्ष १४ जनवरी को ही पड़ता है।




संक्रांति के इस पावन पर्व पर देश के कई क्षेत्रों में गंगा सहित कई नदियों, जलाशयों में हजारों श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है। इस मौके पर श्रद्घालुओं ने गंगा स्नान के बाद दान-पुण्य किए। कड़कड़ाती ठंड के बावजूद सुबह से ही गंगा के विभिन्न घाटों में पहुंचकर लोगों ने स्नान किए। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करने और गंगा तट पर तिल का दान करने से सारे पाप कट जाते हैं।


जानिए क्या है मकर संक्रान्ति का सही मतलब?

 पंडितों का कहना है कि सूर्य के धनु से मकर राशि में जाने से खरमास भी समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। आज की संक्रांति बहुत खास है और आज के दिन किये गये दान-पुण्य हर जातक के लिए शुभ है। इस दिन को  गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पतंग महोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।


Saturday, 9 January 2016

1 liner Thoughts.Nice lines

Imparting a divine influence on the mind and soul...

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ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।

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भारत के कोने-कोने को यु सजाऊ सवारू की हर बाहर देशों से आने वाले सैलानी फिर से कहें "भारतवर्ष सोने की चिड़िया" ||

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फिर उड़ गयी नींद ये सोच कर .. सरहद पर बहा वो खून मेरी नींद के लिए था .


मन और छाता तभी उपयोगी होते है जब वे खुले होते है । अन्यथा ... वे अनावश्यक ही हमारा बोझ बढ़ाते हैं।



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" गलतियां " नज़रंदाज़ नही की जा सकती जब आप " शब्दों " से खेलना सीख जाये!!

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"मानता हूँ गिले-शिकवे भुला देना आसान नहीं.. पर यारों इक कोशिश जरूर करना मिलने की सुना है... मौत किसी को मुलाक़ात का मौका नही देती

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फकत नींद आ जाने से मिलता नहीं सुकून सोने का, कुछ ख्वाब पलकों पर हमेशा जागते हैं...!



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मन और छाता तभी उपयोगी होते है जब वे खुले होते है । अन्यथा ... वे अनावश्यक ही हमारा बोझ बढ़ाते हैं।
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वक्त वक्त की मोहब्बत है वक्त वक्त की रूसवाईयां........! कभी पंखे सगे हो जाते हैं तो कभी कभी रजाईया....



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रोड किनारे चाय वाले ने हाथ में गिलास थमाते हुए पूछा.. "चाय के साथ क्या लोगे साहब"? ज़ुबाँ पे लव्ज़ आते आते रह गए पुराने यार मिलेंगे क्या?
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हर शख्स से मिलने ले पहले एक मुखौटा ओढ़ लेता हूँ #जिंदगी जैसे #रंगमंच सी हो गई है.. 🍂🍂
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🍂बड़े दिलकश से कुछ फ़साने कुछ नये मोड़ आये हैं, किताबे इश्क में हम, पन्ने नये कुछ जोड़ आये हैं l🍂

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जिंदगी भर "सुख" कमाकर दरवाजे से घर में लाने की कोशिश करते रहे। पता ही ना चला कि कब खिड़कियों से "उम्र" निकल गई।।...:::!!!

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हर रोज़ सोचता हूँ तुझे, #प्रेम, दिन आता है और निकल जाता है..
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" जो युही कभी हम जान माँग ले जनाब... 💕 तो कह दीजियेगा तुम्हीं तो हमारी जान हो... 💕


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जो " #मोक्ष "की भी परवाह नहीं करते उन्हें ईश्वरीय #प्रेम मिलता है ! #जय_श्री_महाकाल


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ना ढूँढो मेरा किरदार दुनिया के भीड़ में वफ़ादार तो हमेशा तन्हा ही मिलते हैँ...
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☝कभी मिल सको तो पंछियो 🐦 की तरह बेवजह मिलना वजह से मिलने वाले तो न जाने हर रोज़ कितने मिलते है।
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उफ़, अकेलापन ये कितना बढ़ गया है सबके मोबाइल में केवल सेल्फ़ियाँ हैं…!!
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बचपन की सबसे बड़ी गलतफहमी यही थी, यारो.. कि बड़े होते ही ज़िंदगी बड़ी मजेदार हो जायेगी...!!
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मित्र प्रिय होते हैं, मित्रता सुंदर होती है, जो मित्र मित्रता निभाते हैं वो सदैव ह्दय के करीब होते हैं ||
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" I " Will be the last person To die in my lifetime..

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सौंदर्य आपके ध्यान को.... लेकिन व्यक्तित्व आपके दिल को आकर्षित करता है।।
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श्रीरामचरणाम्भोज-युगल-स्थिरमानसम् | आवाहयामि वरदं हनुमन्तमभीष्टदम् || #जय_हनुमान #जय_श्री_राम
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बेफ़िक्र वो काग़ज़ से लिपट कर रोती है, कलम इश्क में हो तो वो ग़ज़लें कहती है।
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हमको टालने का शायद तुमको सलीका आ गया, बात तो करते हो लेकिन, 🍁🍂 🍂🍁 अब तुम अपने नहीं लगते।
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ज़रूरतें, ज़िम्मेंदारीयां और ख़्वाहिशें, यूं तीन हिस्सों में तनख़्वाह बंट जाती है।
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ख़ुदा से माँग लो जो भी है माँगना साहब ... यही वो दर है जहाँ आबरू नहीं जाती !!!
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अनुभव कहता है... खामोशियाँ ही बेहतर हैं, शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं...
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"बस एक बात का मतलब मुझे आज तक समझ नही आया है! "जो गरीब के हक के लिए लड़ते हैं! "वो लडते लडते अमीर कैसे बन जाते है,, 😷
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जब परमात्मा ने सबके घट में अपना स्थान बना लिया है तो फिर किसी को भी गलत या बुरा बोलने की जरूरत नहीं है " सभी परमात्मा के अंश हैं। "
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रख हौसला वोह मंजर भी आएगा प्यासे के पास चल के समंदर भी आएगा थक कर ना बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आएगा..!!

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ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते.. लेकिन -.- -.- -.- -.- कभी कभी वो ऐसा थप्पड़ मारती हैं जो पूरी उम्र याद रहता हैं...........!!

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पहले लोग भावुक थे रिश्ते निभाते थे फिर प्रैक्टिकल हुए रिश्तों से फायदा उठाते थे अब प्रोफेशनल है फायदा उठाया जा सके ऐसे रिश्ते ही बनाते हैं

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कुछ गजले क्या बिखेरी हमने, पूरी फिजाएं ही शायराना हो गई।
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मनुष्य दिव्य प्रकाश का जब चाहे दर्शन कर सकता है। उसके लिए न दीया चाहिए,न बाती । उसे देखने के लिए सिर्फ श्रध्दा और प्रेम चाहिए।
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तुमसे जब बात नहीं होती ऐसे ही चुपचाप सा गुज़रता है ये सुनसान सा दिन सीधी लम्बी सड़क पे साथ चलता हुआ मुँह फुलाए नाराज़ सा ख़ामोश सा उदास सा
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हज़ारों बातें हैं जो मुझे मसरूफ रखती हैं, मगर दोस्तों वो ऐसा है की फिर भी याद आता है...!!
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बसना हो तो... ' ' में बसो किसी के..! '' में तो.. लोग खुद ही बसा लेते है..!!
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कुछ तो मन और आँखों में पलती हैं कहानियाँ सब कहाँ कागज़ों पे उतरती हैं.
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राहो मे युही कुछ खोया सा, कदमों से कदमों को सकुचाते मिलाते.. चला जा रहा था बेसबब.. कि तुम याद आये.. और सब सुहावना हो गया ||
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दुनिया में सब चीज मिल जाती है,.... केवल अपनी गलती नहीं मिलती.....||
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त्याग दी सब ख्वाहिशे , कुछ अलग करने के लिए "राम "ने खोया बहुत कुछ , "श्री राम "बनने के लिए...!! #जय_श्री_राम
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कल ही तो कुछ नयी-नयी सी थी, पर आज पुरानी सी क्यु लगती है । ये जिन्दगी भी आजकल कभी हवा, कभी किस्सों कहानी सी क्यु लगती है ।।
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इतना सस्ता और ना सौदा दुनिया के बाजार में ! तीनो लोकों का मालिक बिकता बस थोड़े से प्यार में !!
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Thank You...